Friday, March 18, 2011

Few Lines by Ahmed 'Faraz' Sahab


Dil mein kitne zakham hain, kis ko pata FARAZ...!!
Ye aur bat hai k hum muskura k jeete hain.....!!



Tum bar bar kyu dete ho parindo ki missal ae "FARAZ".
Saaf saaf kyn nahi kehte k mera shehar chor do.....



दिल के रिश्तों कि नज़ाक़त वो क्या जाने 'फ़राज़'
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती हैं चोटें अक्सर...



मैं नींद का शौक़ीन ज्यादा तो नहीं फ़राज़ !!
लेकिन ख्वाब न देखूँ तो गुजारा नहीं होता !!



हम न बदलेंगे वक्त कि रफ़्तार के साथ “ फ़राज़ ” !
हम जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा !!



यही सोच कर उसकी हर बात को सच माना है “ फ़राज़ ”!
कितने खूबसूरत लब झूठ कैसे बोलेंगे !!



तेरे जाने के बाद बस इतना सा गिला रहा हमको “फराज़” !
तू पलट कर देख जाता तो जिंदगी इंतज़ार में गुजार देते !!


वो कहते थे रोने से नहीं बदलता नसीब "फ़राज़" !
बस उनकी इसी बात ने जिंदगी भर रोने न दिया !!


कहा था उसने अपना बनाकर छोड़ेंगे "फ़राज़" |
और हुआ भी यूँ कि अपना बनाकर छोड़ दिया |



बिखर रहें हैं मेरी जिंदगी के तमाम वर्क ,
ना हाने कब कोई आंधी उड़ा कर ले जाए,
मैं कब तक दूसरों के दुःख सम्भाल के रखूं "फ़राज़",
जिस जिस के हैं वो निशानी बता के ले जाये ||